July 27, 2022

आज मेरी प्यारी छोटी बहन सरोज का जन्मदिन हैं

आज मेरी प्यारी छोटी बहन सरोज का जन्मदिन हैं | सरोज मुझसे 3 साल छोटी हैं | उसके आने से मुझे एक बहन के साथ एक सहेली भी मिल गई | हम दोनों में बहुत बनती थी | Jabalpur में हमारा school जाना शुरू हुआ | हम दोनों एक ही school में थे जो घमापुर में था (पुत्रीशाला विद्यालय ) | सरोज बचपन से ही निडर , Boss – Type थी सब उसका कहना मानते थें | साथ ही एक बहुत अच्छी Story – Teller थीं |

एक बार सरोज की Class – Teacher ने मुझे बुलावा भेजा | मैं डर गई की पता नहीं क्या शिकायत हैं | Class में जाने पर Teacher डांटते हुए बोली की तुम्हारी बहन ना खुद पढ़ती हैं | और ना ही किसी को पढ़ने देती है | सबको इकठ्ठा करके हमेशा Story सुनाया करती हैं | मम्मी – पापा से कह देना की सरोज को समझाए “ऐसी नटखट थी सरोज “


हम दोनों हर जगह साथ – साथ जाते खेलने के लिए | इसी पर बचपन की एक मजेदार घटना याद आ रही हैं | Jabalpur में हमारा घर Colony में 2nd floor पर था | सभी बच्चे शाम को मैदान में खेलने जाते | जहाँ हम बहुत से खेल खेला करते | कुछ बड़ी लड़किओं का भी group था | जो हम लोगो के साथ ही खेला करती | वे आपस में मिल कर हमें game में हरा कर बहुत हँसी उड़ाया करती | और रुला कर ही मानती | ऐसा करने में उन्हे अलग ही आनंद आता | मैदान में एक Jungle – Jalebi का विशाल पेड़ था |

जिसमे ढेरो फल लगते वे गरमी के मौसम में पकने पर बहुत सारे फल नीचे गिर जाया करते ।शैतान लड़कियाँ पेड़ के चारो तरफ एकत्र हो जाती | और सब छोटे बच्चो से जलेबी बिनवा कर सब अपने पास रख लेती | और 3 – 4 देकर भगा देती | हमें बड़ी अच्छी लगती थी जंगल – जलेबी और उनकी फ्रांक में ढेरों जलेबी देखकर गुस्सा आती की मेहनत करें हम, और हमें बस 3 – 4 जलेबी | मन ही मन सब गालियाँ देती और घर आ जाती | सामने तो हिम्मत ही नहीं पड़ती थी की किसी की उनको कुछ कहने की | एक दिन हम दोनों बहनों ने नीचे जाने से पहले एक जुगत लगाई की जब हमारे पास हमारी फ्रांक की झोली भर जाएगी | तब हम घर भाग जायेंगे | और हमने ऐसा ही किया | हमने जो दौड़ लगाई की 6 – 7 दिन तक घर से बाहर निकले ही नहीं |

यदि हम नीचे उतरे तो पिटाई होना पक्का हैं | इसी प्रकार का मस्त था हमारा बचपन | हम धीरे – धीरे बड़े होने लगे | हम दोनों हमेशा साथ ही सोते थें | रात में उस समय Radio में रात 9 बजे से film story आया करती थी | सरोज सिरहाने के पास Transistor रखकर पूरी – पूरी कहानी सुनती और बड़ी खुश होती | मुझे कब नींद आ जाती थी | पता ही नहीं मैं ऐसी ही कहानियाँ आपको आगे सुनाऊँगी | और आज मेरी प्यारी बहन एक कामयाब Gazatted – Officer हैं | और दो बेटों और एक बहु की ममतामयी माँ हैं |


“जन्मदिन की ढेरों बधाइयाँ ” अर्ज किया हैं –
” प्रीति के बोल , आशीष के मोल ,
सुख और शांति के परते खोल |
जीवन बढ़ता रहे डगर पर,
हर पग वैभव मय अनमोल “

2 Responses

  1. Ramesh says:

    Very good jog of the old memories. Keep it up

  2. Mridu says:

    Love this. Beautiful memories.

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