कठोर परीक्षा
मुझे ठुकराकर मेरी चिर शांति छीन कर
इस तरह तड़पाने से क्या मिलेगा तुम्हें?
माना की मेरी परीक्षा लेने का अधिकार
तुम्हारा है किन्तु इतनी कठोर परीक्षा लेकर
मेरे धैर्य और साहस के पैर न लड़खड़ाए
इतना बल तो प्रदान करो देवी।
मेरी ह्रदया काश के खिलखिलातेआशा के
तारो की रोशनी फीकी हो रही है किन्तु
उठती (क्षितिज में )लाली फिर अरुण छबि दर्शन की
लालसा जगा रही है पर हाय ! प्राची में तुम्हारी छबि की
झांकी आने के पूर्व ही मेरी लालस कुमुदिनी
निराशा की फीकी हँसी में डूब रही है |
देवी ! इतना ग़हन-जीवन मृत्यु का द्वंद्व हृदय
में छिपाये कब तक प्रतीक्षा करे ?
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