किन्तु तुम्हारी पराजय का अंत यहाँ नहीं
खिल -2 कर मुरझाने को ही विश्व रंगमंच पर तुम्हारा अवतरण हुआ है |
कुशवाहा —
प्राथी में ऊषा के राज्याभिषेक की तैयारी हो रही है और तुम्हारा साम्राज्य लुट गया हैं |
अनाधिनी नत मस्तक अपने को भूगर्भ में छिपाना चाहती हो, किन्तु तुम्हारी पराजय का अंत यहाँ नहीं |
खिल – 2 कर मुस्कुराने को ही विश्व रंगमंच पर तुम्हारा अवतरण हुआ है |
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