तुम्हारी याद आती है
तुम्हारी याद आती है
आंधी और तूफान भरी रात
ओलो की बरसात, तीखी हवा के प्रहार
जिस पर गहन अंधकार ही अंधकार।
तुम आयी और बिजली सी कोंधकर
मानस में पुलक और सूनेपन को
आपस में टकराते छोड़ चुपके से भाग चली।
हाय ! तुम्हारे हाथों को अपने हाथों
में थाम कातर नयनो से तुमसे कितनी आरजू और
मिनन्ते की, किन्तु अरमानो को ठोकर मारकर तुम चली
गई। मेरे आंसुओ की बरसात में तुम्हारी स्मृति बिजली सी नाच
उठती है। और तड़पती आह हिम – पवन बनकर कलेजा बेध देती है।
तुम्हारी याद आती है।
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