दिगन्तरा का मुंडन संस्कार
बहुत समय से दिगन्तरा के मुंडन संस्कार का Plan बना रहे हैं की कब जाए ? उसके बाल भी बहुत बड़े हो गये हैं। मेरा मन शुरू से ही बांदकपुर में मुंडन कराने का था। क्योकि मेरे दोनों बच्चों का यही पर मुंडन हुआ था। अतः मैंने पंडित जी से मुहूर्त निकलवा लिया जो 6 दिसम्बर को 12:15 से 1:30 बजे तक का था।

अब तो जाना पक्का ही था। 28 नवम्बर में हमने नई गाड़ी ली है। अब ड्राइवर की समस्या कोई मिल ही नहीं रहा था। लगा अब जाना मुश्किल है। पर 2 तारीख को ड्राइवर मिल गया। अब उसने भी इस प्रकार की गाड़ी को कभी चलाया नहीं था। अतः 3 तारीख को मोहनीष उसे Drive पर ले गया।

सब ठीक था। धीरे-धीरे चला लेगा बेटे का भी Automatic गाड़ी चलाने का यह पहला अनुभव था। हमें 4 तारीख को MP के लिए निकलना था अब तैयारी का केवल एक दिन ही था। फटाफट तैयारी की दिनभर भागमभाग रही। और 4 तारीख को सुबह 6:15 पर हम M.P जाने के लिए निकल पड़े। गाड़ी मोहनीष ही चला रहा था। पहली बार इतनी प्यारी गाड़ी में लम्बे सफर के लिए निकले हैं।

उस कृपालु की बहुत दया और ममता है। की आज हम इस मुकाम पर पहुँचे हैं की अपनी इतनी Luxury गाड़ी में सफर कर पा रहे हैं। ये तो कभी हमने सपने में भी नहीं सोचा था। हम शाम 7 बजे सागर पहुंच गये। अपने घर 🏠 और शहर आकर बहुत सुकून सा मिलता हैं। अपनी माँ के पास आकर हर बच्चे को अच्छा लगता हैं। तारीख 5 को आराम किया | 6 तारीख को सुबह 9 बजे बांदकपुर जाने के लिए रवाना हुए।

यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता, खुली व साफ हवा में सांस लेना ऐसा लग रहा था कि ना जाने कितने सालो के बाद नीला आकाश और दूर तक देख पा रहे हैं। Noida & Delhi के हाल तो आप सभी को पता है। 12 बजे हम बांदकपुर पहुँच गये भोले बाबा के दर्शन किये फिर दिगन्तरा का मुंडन हुआ ।आज मंदिर प्रांगढ़ में बहुत बच्चो के मुंडन हो रहे थे ,आज सीता पंचमी भी है।

दिगन्तरा 5 मिनट रोई होगी जल्दी ही चुप हो गई बहुत प्यारी बिटिया हैं। उसके सब काम बड़ी आसानी से हो जाते हैं कही भी कोई विघ्न नहीं आता। 2 बजे के लगभग हम लोग निकले रास्ते में खाना खाकर, भाई की जमीने देखते हुए बहुत जगह घूमते हुए 7 बजे के लगभग घर वापिस आ गए। 8 को हम जबलपुर गये मेरी सबसे छोटी बहिन इंद्रा रहती हैं। हम 9-10 साल पहले गये थें। उसके यहाँ रात रुके सुबह 9 बजे हम कान्हा – किसली नेशनल पार्क देखने चले गये।

2 बजे हम पहुँच गये शाम 3 बजे से जंगल सफारी थी खाफा बफर जोन में ,जंगल ऐसा खूबसूरत की क्या कहने साल, साज, कचनार, और ना जाने कितने प्रकार के पेड़ो को देखा !खूबसूरत पक्षियों का संसार। एकदम मौन और बेहद घना जंगल मजा आ गया। ऐसा लग रहा था की घूमते ही रहे। शेर तो नहीं दिखा पर जंगल की खूबसूरती को हमने भरपूर जिया।

7 बजे हम अपने “JUNGLE CAMPS KANHA आ गये यह जगह और भी खूबसूरत थी बिल्कुल जंगल के बीच दूर – दूर तक कोई नहीं ,कोई आवाज नहीं। कोई भी NETWORK नहीं सब कुछ थमा – थमा सा था। रात 8 : 30 बजे खाना खाया 10 बजे तक हम सो गये । 9 तारीख को MORNING JUNGLE SAFARI की TICKET ही नहीं मिली। 30 जनवरी तक सभी book है। अतः सुबह 8 बजे हम आसपास घूमने निकल पड़े।

10 बजे BREAKFAST लेकर तैयार हुए 2 बजे हम वापिस हो गये। रात 10 बजे हम सागर आ गये। अरे हाँ दिसंबर की सबसे बड़ी उपलब्धि तो VIDHYA की Irish Citizenship हैं। जो 2 दिसंबर को Dublin में मिली। ये इस साल का सबसे बड़ा तोहफ़ा 🎁है।

मुंडन के बाद 7 तारीख को हम मामा जी के घर रहली गए यहां भी बच्चे बहुत सालो के बाद आए है। यहाँ मेरे बचपन का बहुत समय बीता हैं। यहाँ भी बहुत सुंदर बाग़ – बगीचे खेत हैं। साथ ही सभी मामा- मामी जी का बेहद प्यार। 10-12 दिसंबर को हम बहुत लोगो से मिले बहुत जगह घूमे ।

13 दिसंबर को मम्मी के साथ रहे। तारीख 14 को सुबह 6:30 बजे नोएडा के लिए रवाना हुए। रात 8 बजे तक घर आ गये इन 10-12 दिनों में हम सभी बहुत घूमें 4-5 दिन घर के कामो में निकल गये। बुधवार को मैं और अरु DLF गयें। गुरुवार को अरु घर चली गई। 25 दिसंबर को मैं और मोहनीष इनके बचपन के दिन याद कर रहें थें।

मैं इनको कैसे आज के दिन सुबह चर्च ले जाती थी। दोनों बच्चो को सभी धर्मों के बारे में समझाती थी। नई – नई बाते सिखाती थी। दोपहर को हम दिल्ली गये। हमारी नई गाड़ी का NO आ गया था। नंबर प्लेट लगवाकर हम 5 बजे घर आ गये आज 28 दिसंबर है। मोहनीष Connaught Place गया हैं। आज सभी बच्चो को पार्टी दी हैं।

29 तारीख को सुबह से ही मन बड़ा दुखी था लग रहा था की हम क्या सोचते है और लोगो के मन में क्या-क्या चल रहा होता हैं। अब हर चीज से दूर होने का समय शुरू होना चाहिए। ज्यादा ध्यान देना भी बेकार अब अपना वो सभी कुछ नहीं रहा तो। तो किस बात का दुःख लगाव ? बस आप का जो परिवार के प्रति कर्तव्य हैं। पूरा करते चलो बाकि सब उस दाता पर छोड़ दों। वो सम्हालेगा सब का ध्यान रखेगा। 30-31 दिसंबर को पुरे साल को पीछे मुड़कर देख रही हूँ तो बहुत खुश हूँ की इस साल अपनी पूरी जिंदगी में जितना नहीं घूमी हूँगी।

जितना एक साल में घूम लिया विशेषकर INTERNATIONAL TRIP कर ली जिसकी कभी सपने में भी कल्पना नहीं की थी बहुत ही खूबसूरत रंगो से भरा विस्मय भरा सफर रहा जिसके लिए पूरी कायनात और अद्भुत गुणों से भरे प्रत्येक प्राणी को दिल से धन्यवाद।
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