दीपावली
‘ दीपावली’ एक संस्कृत शब्द है। जिसका अर्थ है प्रकाश की पंकितयाँ ” यह 5 दिनों का पर्व है धनतेरस से प्रारम्भ होकर भाईदूज तक चलता है ‘आज दीपो का त्यौहार बड़ी दीपावली आ गया इस साल छोटी व बड़ी दीपावली एक साथ है | क्योकि 25 तारीख को सूर्यग्रहण है। अतः सुबह हनुमान जी की पूजा होगी शाम को लक्ष्मी जी की। अब सुबह से शुरू करते है :- सबेरे जल्दी उठी बाहर जाकर फूल , अशोक के पत्ते , दुब , पान , फूलों की लड़िया लेकर आई सजावट के लिए और पूजा के लिए।



लौट कर Main Gate को साफ करके लक्ष्मी जी की 5 चरण बनाये | फूल डाले | फिर दूसरी तैयारियाँ की घर की सजावट आदि | और घर में सबसे पहले खीर बनाई जाती है | शाम की लक्ष्मी पूजन के लिए। धनतेरस के दूसरे दिन रूपचौदस होती है। इस दिन हनुमान जी को 5 बेसन के लड्डू का भोग लगाया जाता है। शाम को पूजन की सारा सामान सजाया जाता है| पिछले सालो में डोना पूजा कराया करती थी| बड़े विधि – विधान से मंत्रो सहित। इस बार हम सभी ने उसे बहुत याद किया | रंगोली भी वही बनाती थी मेरा तो रंगोली बनाना छूट ही गया था | अतः इस साल मैंने और अरु ने रंगोली बनाई।



रात में पूजा – हवन आदि किया | दिए जलाये गए| मंदिर में दीपक रखने गए , गाड़ी की पूजा की और पूरा घर जगमगा गया। मै एक दीपक Kitchen की Bashin के नीचे रखती हु | जो 5 घंटे जलना चाहिए। फिर सभी का आना जाना शुरु हो जाता है | Gifting , Sweets का।



और मै धन वर्षा पोटली बनाती हूँ हर वर्ष | इस बार अपनी बिटिया रानी को भी बनाई है | जिसे जब डोना घर आएगी तभी दूंगी।
रात में प्रसाद वगैरह खाकर हमने UNO देर रात तक खेला जिसमे Mohanish ने बाजी मारी इस वजह से 3 -4 दिन तक बहुत खुश रहा की देखा तुम दोनों को कैसे मैंने हराया।
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