December 1, 2023

बटोही ! मेरे कुंज में ठहर कर विश्राम कर

बटोही ! मेरे कुंज में ठहर कर विश्राम कर | देखो मध्याह का सूरज सिर पर चमक रहा है | पृथ्वी जल रही है और वायुमंडल गर्म -गर्म क्षुब्ध वायु से घिरा है | तुम्हारी पेशानी के श्रम कण प्रवाह बन कर बह रहे है | तुम पसीने से तर हो होंठ सूख रहे है चेहरा कुम्हलाया है ,पैर लड़खड़ा रहे हैं,और बदन पस्त है | बटोही ! पथ पर तुम अवश्य हो ! किन्तु मंजिल बहुत दूर है सरल सीधे पथ पर चलकर तुम्हारी यह दशा ? श्वास कठिन कंटकाकीर्ण
मार्ग के लिए साहस और बल का संचय करो और फिर अग्रसर हो भी ! बटोही ! तुम मेरी सघन शीतल सुखद और शांत(कुंज की )छाया में रहकर विश्राम तो करो |

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