बरसती बूँदे दिल का राज खोल गई
बरसती बूँदे दिल का राज खोल गई किन्तु तुम समझीं नहीं जो घटा बरस कर चली गई वह फिर लौटी नहीं और जो लहर हाथ हिलाकर चली गई वह फिरी नहीं | चाँद की हँसी और तारों की मुस्कराहट रात की बेदना कह न सकी किन्तु आँखोकी बरसात सब कुछ कह बेदना को कसकती छोड़ गई बूँदें बरसी किन्तु दिल का राज तुम समझी नहीं |
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