मुझे पढ़ने का शौक हैं !
01.01.2001 में कोई Book पढ़ते समय यह जीवन के प्रति हमारा क्या नजरिया होना चाहिए ‘पढ़कर लिखने का मन हुआ आप सब भी पढ़े मेरे मनोभाव को ‘
जीवन – दर्शन
- जब मै मरू, तब मेरी दृष्टि उसे दे देना जिसने कभी सूर्योदय नहीं देखा !
- मेरा ह्रदय उसे दे देना जिसने कभी हार्दिक तड़पन अनुभव नहीं की !
- मेरा रक्त उस युवक को दे देना, जिसे किसी प्रकार के ध्वंसावशेष से निकला गया हो!
- ताकि वह आपने पोते को खेलता देख सके और मेरे गुर्दे को किसी दूसरे का जहर सीखने देना
- मेरी हड्डियों को किसी अपंग बच्चे को चलने देने में इस्तेमाल होने देना !
मेरे मृत शरीर का जो भी भाग बचे उसे जला देना और मेरी राख को इधर-उधर हवा में छितरा देना, ताकि वह फुलो को जन्म देने में मददगार हो सके अगर कुछ दफन करना है तो दफनाना मेरी गलतियों को, मेरे उन पूर्वग्रहो को जो अपने साथी-मनुष्यो के प्रति मेरे मन में थे!
मेरे पापो को शैतान को दे देना अगर मुझे याद करने का मन आए तो कोई कृपालुता पूर्ण कृत्य करके या किसी जरूरतमंद को सांत्वना देकर कर लेना!
यदि तुम वैसा ही करोगे जैसा मैने कहा है तो में अमर हो जाउंगा और सदा जीवित रहुँगा!
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- मन की बातें