मुझे रुलाकर ही तुम्हे चिढ़ाने में
मुझे रुलाकर ही तुम्हे चिढ़ाने में अपनी पसंदगी नजर आती हैं | भींगे नयनों में तुम्हारी यादें उतरी हैं और भागती बूंदों में तुम्हारा बिछोह फूट निकला हैं | उमड़ती घटाओ में लंबी अवधि का बांध टूट गया हैं और सिसकनो में निर्मोही | अब तुम्हारी अपेक्षा से भी लड़ने की ठान ली हैं | मुझे रुलाकर तुम्हे सुख मिलता हैं तो आँसूओं की बरसात में डूबा देने की क्षमता भी मैंने पा ली हैं |
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