March 4, 2024

मुझे रुला कर ही

मुझे रुला कर ही तुम्हें चिढ़ाने में अपनी पसंदगी नजर आती हैं | भीगे नयनों में तुम्हारी याद उतरी हैं और भागती बूंदो में
तुम्हारा बिछोह फूट निकला हैं | उमड़ती घटाओं में लम्बी अवधि का बांध टूट गया हैं और सिसकनो नें निर्मोही ! अब तुम्हारी अपेक्षा से भी लड़ने की ठान ली हैं | मुझे रुलाकर तुम्हे सुख मिलता हैं तो आंसुओ की बरसात में डुबा देने की क्षमता भी मैंने पा ली हैं |

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