July 2, 2022

ये यादें है उन लम्हों की जब ये पत्र लिखे गए | जिन्हें पढ़कर मन सतरंगी हो जाया करता था

मेरी,

प्रिया

लुटा के हर भावना की दौलत मैंने

तुम्हारे लिए प्यार के रतन को बचा रखा है

संघर्ष मेरे जीवन में पत्थर हो  गया दिल –

तुम्हारे लिए उसकी धड़कन को बचा रखा हैं

गुजर जाने दिया मैंने मचलते तूफानो को

तुम्हारे लिए ही मधुर पवन को बचा रखा हैं

 धरती में नहीं शेष स्थान तो क्या हुआ |

तुम्हारे प्रीति के लिए गगन को बचा कर रखा हैं

घरती है, मृत्यु, शतरंज के मोहरों की तरह

देकर धोखा उसे जीवन को बचा रखा है

अकेले  मैंने  कभी देखा नहीं सपनें को

साथ – साथ देखने को दर्पण बचाकर रखा है

समय की पुकार झुर्रिया बन चढ़ गई संसार में

फिर भी मैंने मधुर योवन को बचा रखा

                                          तुम्हारा

                                           परशु

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *