August 7, 2023

योगमय जीवन

It’s not enough to know- who you are.
It’s about living with that awareness.

………….Healer A.Ram

जीवन को तकलीफ से मुक्त रखने के लिए निरोगी काया का होना आती आवश्यक है

….. चाणक्यनीति

मेरे जीवन में योगासन का जुड़ना शायद पहले से ही नियत था, क्योंकि मेरे पापा जी का पहले से ही योगमय जीवन था, जब मैं collage में पढ़ती थी । सुबह 4 बजे पापा और मैं उठ जाया करते ।पापा अपना योगसन meditation करते, में पढ़ाई करने बैठ जाती। धीरे- धीरे मेरी पढ़ाई खत्म हुई, M.sc करने के बाद मैंने P.sc का exam दिया मेरा center ” हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय ” में था ।तब मैं, मेरे कहना चाहिए नाना जी जों University में professor थे|

,उनके यहाँ 2 दिन रुकी।वे भी सुबह- सुबह योगासन किया करते पहला सूर्य नमस्कार उन्होंने ही मुझे सिखाया था, ये December 1982 की बात है मुझे बहुत अच्छा लगा की वाह क्या बात है इसे मैं जरूर सीखूँगी वैसे मुझे नई-नई चीज़े सीखने का शौक शुरू से ही था| मैं cycle तो 10 Km रोज ही चलाया करती थी ।घूमने का बेहद शौक रहा है| फिर 16 june 1983 में मेरी शादी हो गई|1984 को बेटे का जन्म हुआ फिर मौका ही नहीं मिला, घर में व्यस्त हो गई | 1987 में बिटिया का जन्म हुआ| फिर हमारा Transfer Gadarwara से बैतूल (भैसदेही) हो गया ।अब यहा से मेरा समय बिल्कुल बदलने वाला था ।

भैसदेही आकर सबसे पहले मैंने सुबह घूमना शुरू किया, सबेरे 5 बजे घूमने निकल जाया करती और 6:30 पर वापिस घर, फिर 5-6 month बाद राम मुझे sport cycle लेकर आए cycle भी 7-8 Km रोज चलाती, skipping भी करती, बच्चों के साथ भी खूब खेलती फिर 1990 में damoh transfer हो गया, यहा भी मेरा घूमना चालू रहा, उस समय morning walk कोई जाता नहीं था । मुझे देख कर कुछ lady कहती की हम भी आप के साथ चले, मैं कहती क्यों नहीं एक से भले दो ,इस प्रकार वे भी मेरे साथ walk को जाने लगी|सभी मेरी तारीफ करती की आप बहुत punctual हो ।1995 में एक दिन जब walk कर के आई T.V चलाया की कुछ देखा जाए ,उस समय बहुत कार्यक्रम तो आते ही नहीं थे ।शायद ashtha channel लग गया था उसमे योग गुरु लाल जी महाराज का क्रायक्रम आ रहा था, बस मै भी साथ-साथ करने लगी उसी दिन से जो लगन लगी, फिर तो में सीखती चली गई,जहाँ से भी मुझे सीखने का मौका मिलता शामिल करती गई| बीच-बीच में कभी छूट भी जाता था ,पर मैं करती जरूर थी। फिर 2002 आया April से जीवन की धारा ही बदल गई। सब कुछ खत्म हो गया, ना अपनी चिंता ना बच्चों की।

मैं अपने दोनों बच्चों सहित सागर mummy- papa के पास गई अब तो रात भर आखों से आँसू बहते रहते” जब कभी आँख लगती तो सुबह 8 -9 बजे उठती, जब तक मम्मी का खाना वग़ैरह बन जाता । मैं बिल्कुल गुमसुम रहती मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था, की मैं अपना जीवन कैसे गुजारूँगी, क्या करूंगी !2002 में ही mohanish का selection IIT BHU में हो गया था वो भी चला गया। मुझे छोड़कर धीरे- धीरे सब जा रहे थे। जिनके बिना मेरा जीवन संभव ही नहीं था ।बस पापा की प्यारी बेटी मेरे पास थी वो भी जैसे बिल्कुल खामोश हो गई थी, में उसको गले लगाकर खूब रोती Dona का Admisssion महर्षि विद्या मंदिर में हो गया था ।

10th करने के बाद Dona कोचिंग लेने kota, Bansal Classess चली गई । अब तो मुझे और भी सूना लगने लगा, मेरे पास कोई काम था नहीं, दिन भर मन नहीं लगता। इसी बीच पापा जी जिस योग निकेतन आश्रम में जाते थे ,योग सिखाने ने और करने के लिए, उसी के योग गुरु आर्य जी एक दिन घर आए उन्होंने पापा जी को कहा आप बिटिया को भी साथ लाया करो नहीं तो बेटी के दिमाग पर बहुत असर पड़ेगा और मुझे भी समझाया की आप भी आया करो|

आपके पापा जी बता रहा थे की आप भी आसन बहुत अच्छे करते हो ,आपको आश्रम में बहुत अच्छा लगेगा आप सभी से मिलोगे साथ ही आप ladies को योगासन भी कराया करो| इसके पहले मैं कभी बाहर नहीं निकलती थी, पापा जी मुझे रोज जाने के लिए कहते । एक दिन हिम्मत करके सुबह 6 बजे मै घर से निकाल पड़ी योग निकेतन जाने के लिए| योग निकेतन हमारे घर से 2 km के लगभग था आज ये रास्ते, परिस्थिति, समय सब कुछ बदल चुका था, मेरी आँखे भर-भर आ रही थी, वो सब सोच-सोच कर, मन जैसे डूब रहा था।

आश्रम में भी सबकी नज़रों को तथा उनके अनकहे सवालों को कैसे face करूंगी जब में वहाँ पहुँची तब 2-3 ही लोग थे, आज में अकेली पापा के पहले ही आश्रम पैदल ही आ गई थी ।धीरे-धीरे बहुत से लोग आ गये आर्य जी ने सभी से मेरा परिचय कराया की ये अपने पटेल साहब की बड़ी बिटिया है, सभी बहुत अच्छे थे पहले दिन मुझे कुछ अच्छा लगा योगासन करके, 8 बजे के लगभग में घर पहुँच गई, जल्दी ही में आश्रम सबसे पहले पहुँच जाया करती ।

आश्रम में 10-15 ladies भी आसन सीखने नेआती थी ।कुछ दिनों में गुरु जी ने कहा की ladies wing तुम संभालो आप सबको देखोगी अब तो मुझे मज़ा आने लगा नए-नए लोगों से मिलती उनकी समस्याओं को सुनती ।योग निकेतन का 8 December को स्थापना दिवस मनाया जाता है । इस दिन बहुत बड़ा समारोह मनाया जाता हैं ।बहुत से guest आते हैं,बड़ा भोज होता, सुबह 6 बजे से, दिन के 3-4 बज जाते थे|

समय अच्छे से गुजर रहा था योग करते समय मैं जैसे अपने सब दुख भूल जाती।और एक नई ऊर्जा से भर जाती थी ।हर Sunday को हवन होता, और नौ दुर्गा पर कई कुंडी यज्ञ होता मैंने यहाँ पर भी बहुत कुछ सीखा ।2 बार गुरु जी मुझे army camp भी ले गए थे| वहा army officers की wife’s को योग सिखाने के लिए।धीरे-धीरे लोग मुझे लोग पहचानने लगे थे| कई मुझे घर आकर सिखाने के लिए कहते , पर मुझे और कही जाना पसंद नहीं था।

मैं बीच-बीच में kota भी चली जाती ।वहाँ भी योगा करती ,और बहुत से बच्चों की मम्मियों मी को भी सिखाती ,सुबह- सुबह घूमने जाती पास ही एक कृष्ण मंदिर था जिसमें योग क्लास लगती थी। उसमे भी शामिल हो जाया करती घूम कर लौटते समय चाय-पोहा-इमरती लाया करती। फिर तो मैं बहुत समय kota में बिताने लगी| यहा मेरा बहुत अच्छे से समय गुजरता। मैंने kitchen का भी सभी सामान रख लिया था मजे से खाना वग़ैरह बनाती ,नई नई जगह घूमती ।

फिर Dona Indore चली गई में वहाँ भी उसके साथ खूब रही Dona अपनी Saffaire गाड़ी ले गई थी अतः हम लोग बहुत घूमते अच्छे -अच्छे खाने को enjoy करते । उसके बाद Dona IIT khadkpur चली गई

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