वह प्रेममयी है
सोचती हूँ की साधु-संतों ने ठीक ही कहा है, कि वह प्रेममयी है उसमे प्रेम ही प्रेम समाया हुआ है, और उसकी एक झलक इनमें पाई। मैं सोचा करती की जब ये इतना प्यार करते है ,इतनी करुणा है, तो उस दाता में ना जाने कितनी होगी | आजकल घर पर 2-3 दिन से officer table बनने का काम लगा हुआ है |दिन मजे से खाते पीते गुजर रहे थे, weight बढ़ता जा रहा था |
आज 10 April है, मेरे छोटे मामा आज शाम 6 बजे आए है, मुझे ले जाने के लिए |11-04-84 को सुबह, हम 11:30 बजे Tikamgadh आ गए, आज आपने मुझे बड़े प्यार से विदा किया था सच मे कितनी खुश थी चलो पहली बार तो खुशी से विदा किया|

12 April को Hospital गई, आज डॉ जौहरी ने देखा , उन्होंने नमक कम खाने को कहा तथा A.T.S का Injection 25 तारीख को लगाने को कहा । 14 April को मेरी बहुत तबीयत खराब हो गई थी |मैंने आपको letter लिखा ,आप तुरंत ही देखने आ गए | 2-3 दिन बाद भोपाल चले गए फिर 24 April को 12:30 बजे दिन में आये ।हम सब ने बड़ी मस्ती की ,चुटकुले सुना- सुनाकर बिताया , आज बहुत हँसे ।
आज 28 April है :- मै इन दिनों यही सोचने लगी हूँ शायद प्रत्येक जीवन एक बंद कमरे की भाँति होता है जिसकी एक खिड़की प्रकृति के विकास की ओर खुली रहती है ,प्रकृति के विकास में कभी किसी चंद्रमा का धुंधला प्रकाश तो कभी किसी अँधकार की कालिमा, कभी आँखों को चौंधिया देने वाला आलोक
तो कभी निबिड़तम अँधकार कभी उष्ण हवायें ,तो कभी जल सिंचित बयार ।कभी अच्छा तो कभी बुरा लगने वाला प्रत्येक दृश्य इस जीवन रूपी कमरे में आता रहता है ।अंतर केवल इतना है कि कमरे की खिड़की का खोलना और बंद करना मनुष्य के अपने हाथ में हैं |

To be continued………….
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