सृजनात्मक श्रंगार
नीलाकाश से उतर कर तुम्हारी मंजुल झांकी
ने मेरे ह्रदय में नव आशा का संचार कर दिया |
दर्शन से मेरा मानस पवित्र हुआ | देवी मैं
तुम्हारी ही साधना में अपने को मिटा कर असीम
सुख का अनुभव कर रहा हूँ | अपने अनमने सूने
क्षणों में तुमसे संदेश सुनता हूँ और यामिनी के श्याम पट पर उभरे अंको को पढ़कर
सृजनात्मक श्रंगार करता हूँ |
- Categories:
- स्मृतियाँ