हमारे नन्हें फ़रिश्ते का जन्म
16 June 1983 को हम विवाह बंधन में बंधे (मैं और राम) और शादी के बाद के दिन बहुत सुंदर ढंग से गुजरे।दिन बड़े ही खुशगवार थे। और झगड़े भी बहुत होते ,बस मम्मी के यहाँ जाने को लेकर ।August 1983 से मेरा मन कुछ अच्छा चटपटा खाने का करने लगा था। 23 अक्टूबर को हम मम्मी के पास टीकमगढ़ गये| जब मम्मी को मैंने बताया की मम्मी मेरा मन कुछ अच्छा सा खाने के लिए करता है, मुँह ख़राब रहता है । बस इतना ही सुनना था की मम्मी जी बोली कल डॉक्टर के पास चलेंगे। मैंने कहाँ मै तो बिल्कुल ठीक हूँ, फिर डॉक्टर के पास जाने का क्या काम। मम्मी मुस्कुरा दी, और दूसरे दिन सुबह मुझे ज़बरदस्ती Hospital लें गई और Dr. Saxena को दिखाया।

उन्होंने वो खुशखबरी दी जो एक लड़की के जीवन में बहुत बड़ी घटना होती है। मुझे 2 Month हो गए थे, यह सुनकर मेरा चेहरा एकदम उतर गया था और मै बहुत डर भी गई थी। मै शायद इस सब के लिए तैयार नहीं थी, किन्तु राम जो room के बाहर थें | जब मम्मी ने उन्हें बताया तो इस खबर को सुनकर Ram एकदम उछल पड़ें, और बेहद खुश हुए। राम जितने खुश थे, मै उतनी ही दुखी की सब कैसे होगा। फिर उसी दिन हम दो बजे Buxwaha आ गए थे। रास्ते भर खुशी के मारे मुझे समझाये जा रहे थे की चन्द्रा सब ठीक हो जायेगा मैं हूँ न| तुम्हे कुछ नहीं करना है अब से बस तुम हुक्म देना। घर आकर राम ने मुझसे कहाँ की तुम माँ को बता दो पर मुझे तो शर्म आ रही थी| मैंने कहा तुम बता दो। ये मुझसे ज्यादा शर्मीले निकलें, फिर उस दिन इस बात को टाल गए | फिर सोचा किसी दिन बता देंगे, 4 Month होने पर हमने माँ को बताया तो उनकी आँखे खुशी से चमक उठी, बस हँस दीं।

मेरा
बिना कोई तकलीफ के समय गुजर रहा था, और मुझे भूख बहुत लगती थी, दिन भर में 4 बार खाना खाती ।रोज एक Sugarcane चूसना ही है। उस समय हर तीसरे दिन Breakfast में पपीते के भजिए बना कर खाती , ताजी सब्जियाँ, घर का गाय का दूध पीना 1/2 liter वो भी 5 Parle Biscuit के साथ ।बड़े मजे से खाते – पीते मोटे होते जा रहे थे और मैं बेहद सुंदर हो गई थी। हम दोनों रोज रात को बहुत दूर तक घूमने जाते तथा जीवन के बारे में तथा आइंस्टीन ( अपने आने वाले नन्हें को इसी नाम से पुकारते थे ) के बारे में ढ़ेर सी बातें करते बड़े ही प्यारे होते थे ये क्षण। गांव में दूर – दूर तक फैली शांति का वातावरण -ठंडी हवाएं, सुनसान सड़कें, मन को एकदम दूसरी दुनिया में ले जाते कभी – कभी तो ऐसा महसूस होता की अगर आप साथ न होते तो मै इस शांत वातावरण में गुम हो जाती।

13 फरवरी को हम फिर टीकमगढ़ गए। 25 फरवरी को फिर Dr. Saxena को दिखाया उन्होंने बताया की सब ठीक 7 Month हो गये हैं तथा शाम को Ats का injection लगा, कुछ Vitamins की दवाइयाँ लिखी। और अब विशेष ध्यान रखने को कहाँ, हाँ एक बात तो थी की आजकल मुझे और कोई शारीरिक परेशानी नहीं थी सिर्फ बैठे – बैठे कमर अवश्य बहुत बुरी तरह से दुखने लगती थी। लगता की मेरे पेट में कुछ नहीं है एकदम खाली है, बड़ा ही हल्का – हल्का महसूस होता था पता नहीं स्वामी का क्या करिश्मा था मेरे 7 Month कब खत्म हो गये पता ही नहीं चला। हम लोगो के दिन जैसे पंख लगाकर उड़ रहें थें। ये मेरा बहुत ख्याल रखते बिल्कुल एक माँ की तरह मनपसंद खाना बना देते, कपड़े To वगैरह धो देते कुछ भी झुकने का काम नहीं करने देते। मुझे इनसे इतना प्यार मिला की मेरा दामन भी छोटा महसूस होता था ।ये सब उस शक्ति का करिश्मा नहीं तो क्या? इनमे मैंने उस सर्वशक्तिमान प्रभु की झलक देखी हैं
To be continued………………..
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