31 May 2022
31 may का दिन जैसे सब कुछ आज ही हुआ हो एक फिल्म की तरह एक बार फिर आखों के सामने से गुजर गया । breakfast के बाद आज सुबह 9 बजे हल्दी थी,


हल्दी में एक एंकर को बुलाया गया था, जिसने बहुत ही बढ़िया तरीके से Games खिलाये, बहुत मजे किये| सभी ने बहुत बढ़िया डांस किया, इस सभी में vidhya की family के सभी लोग involve थे|


फिर डोना की हल्दी हुई, vidhya की हल्दी room में हुई थी, उन्हे अपनी और भी रस्मे करनी थी, फिर चीकट की रस्म हुई जिसमे भाई-बहन कपड़े वगैरा लाते है | उस समय सरोज, इंद्रा, राजेश से गले लग कर रो पड़े, बड़ा मार्मिक क्षण होता है आपस में मिलने का |


1 बजे lunch लिया ।फिर आज शाम की तैयारी करनी थी, 3 बजे makeup के लिए Rohani आ गई, शाम 7 बजे मैं तैयार होकर नीचे पहुँच गई| venue बहुत सुंदर सजा हुआ था मेहमान आने शुरु हो गये थे|


Photos वगैरा खिची जा रही थी, Camera man ने घर वालों के पास आकार डोना के बारे में, हम लोगों से इस घड़ी मैं अपने उदगार व्यक्त करने के लिए कहा |


इस वक्त हम सभी काफी Emotional हो गये थे, पूरा hotel मेहमानों से भर गया था बस बारात आने की देर थी द्वारचार की तैयारी हो रही थी 9 बजे बारात आ गई। सभी रस्मे की गई, 10 बजे वरमाला मंत्रों के द्वारा की गई, बहुत डांस हुआ Photo Session हुआ, सब कुछ परियों की कथा जैसा लग रहा था

Dona और Vidhya बिल्कुल विष्णु-लक्ष्मी जी जैसे लग रहे थे| वरमाला के समय शंख की ध्वनि बड़ी मनमोहक लग रही थी, इनकी माला भी कमल के फूलों और मोती की थी, जो बाहर से मँगाई गई थी ।पूरा माहोल एक तिलस्म की तरह लग रहा था |

फिर Dinner के बाद चढ़ावे व फेरो की तैयारिया करनी थी फेरो का टाइम 1:30 पर था | सभी फिर से तैयार होकर आ गए थे, मंडप में डोना तैयार होकर चढ़ावे के लिए आ गई थी , चढ़ावे चढ़ने के बाद ससुराल से मिले सारे गहने कपड़े पहन कर पूरी तरह जब तैयार होकर डोना मंडप में आई तो उसका एक नया रूप था, अपनी गुड़िया को इस रूप में देखने की बहुत तमन्ना थी, आज कन्यादान मोहनीश, अरुणिमा, मैंने लिया इस समय मैं राम को भूल नहीं पा रही थी बहुत कमी अखर रही थी|


मन महसूस कर जाती थी, किन्तु अदृश्य रूप से ये हमारे साथ थे, डोना के पापा की बढ़ी भांजी की शादी हुई थी, तब माँ ने इनसे कहा था की बेटा तुम कन्या दान ले लो, तब इन्होंने कहा था की मैं अपनी बेटी का कन्या दान करूँगा भांजी का नहीं, तब किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था की ये दिन पापा को नसीब नहीं होगा, इनको अपने साथ बिठा कर कन्यादान की रस्म की, फिर फेरे, पाव पखराई हुई, फिर डोना नीचे आई तब वे मांग भरे, बड़ी टीका लगाये, एक दिव्य रूप में दमक रही थी |



इसके बाद मिलन हुई, दोनों तरफ से मालाए-लिफाफे कोइन्स का आदान-प्रदान हुआ, सभी खुश थे, जूता, छिपाई गई थी, साक्षी ने सभी को बहुत परेशान किया था, दोनों तरफ से नोक-झोंक चल रही थी बहुत समय के बाद सभी ने एक दूसरे को मनाया और आखिरकार साक्षी मान गई |

इन सभी कार्यक्रम होने तक सुबह के 5 बज चुके थे, आज 1 जून है, आज डोना का जन्मदिन है और आज ही उसकी विदाई है, अब विदाई की बारी थी, मैं डोना की विदाई तो घर से ही करूंगी, इसीलिए सुजीत अपनी गाड़ी से मुझे, सरोज और डोना को घर लाए घर आकर मंदिर में पूजा कराई फिर दूधा-भाति की रस्म होती है, अतः मैंने जल्दी से खीर बना ली, डोना और विद्या- भूषण ने एक दूसरे को खीर खिलाकर रस्म पूरी की फिर द्वार से चावल फेकने की रस्मे करके विदाई की रस्म पूरी की, इस क्षण के अनुभव को सिर्फ आप महसूस कर सकते है|

आँखे जैसे भरभरा कर रो पड़ेगी, मन बड़ा भारी हो गया था| वापस hotel आकर डोना उनके परिवार के पास चली गई मोहनीश बड़ा उदास डोना को छोड़ने गया | मन अभी भी इन सबके लिय तैयार नहीं था, लगा जैसे बहुत कुछ हाथो से निकाल गया है| डोना के पापा हमेशा कहा करते थे, मैं डोना को विदा, नहीं कर पाउगा छुक्कों मेरी जान है, उसके जाते ही प्राण निकल जाएँगे अपनी बिटिया को विदा करने से पहले ही इस संसार से विदा हो गए, शायद तुम सही कहते थे, किसी को भी विदा करना मुझसे ज्यादा कौन बता सकता है |

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