–स्मृतियाँ–
दूर नहीं हो, हर दिन छूती हैं
तुम्हारी स्मृतियाँ, सुबह शाम !
लाती हैं किरणे सूरज चंदा की
हर दिन तुम्हारे अगणित आशीर्वाद
जिनकी छांव में जी रहे हैं हम
अनुभव करते हुए तुम्हारा सूक्ष्म सामीप्य !
एक कर्म योद्धा जिसकी कर्मभूमि
इस पृथ्वी से कही बड़ी थी / हैं !
मुस्कराते, हॅसते,कहकहे लगाते हुए जाने वाले कर्मयोगी को
” शत् शत् प्रणाम” !!


- Categories:
- स्मृतियाँ