मायके की मीठी यादें
मायके की मीठी यादें चलचित्र के समान आँखो के समक्ष जींवत हो उठीं |
आज उम्र के छठे दशक में भी माँ और मायके की मिठास से मन भीग उठता हैं |
माँ – बाप की पहली संतान होने के कारण प्यार – दुलार एंव लाड़ से झोली भरी हुई हैं |
आज से 39year पहले जब मेरा विवाह हुआ था | ससुराल में मेरी सास और पतिदेव के मामा – मामी व उनके बच्चे थें |
वहाँ सभी मेरा बहुत ध्यान रखते | पर मुझे अपने घर की बहुत याद आती थी | घर पर भाई – बहिन थें जहाँ फुल मस्ती चलती थी |

इसलिए 7-8 दिन बाद मुझे सभी की याद आने लगती थी और रोना आ जाता | मैं राम से कहती की मुझे मम्मी के पास जाना हैं |
इनसे मेरा रोना नहीं देखा जाता और मुझे छोड़ने चले जाते |
इसी बीच एक दिन ये मुझें ले जाने के लिए बस का इंतजार कर रहे थें की कुछ औरतें सामने से निकल रही थी | रुक कर कहने लगी की भैया क्या अपने घर खाने के लिए नहीं है ? जो हर समय बहु को छोड़ने चले जाते हो | इनका कहना कि बहु को हमारे यहाँ पर अच्छा नहीं लगता तो हम क्या करें ?
मैंने इनकी तरफ गुस्से से देखा और कहाँ तुम्हें ऐेसा नहीं बोलना था | इतना सुनते ही मुझे छेड़ते हुए बोले बताओं मैंने सच नहीं बोला | मुझे हँसी आ गई |
नहीं ऐसा तो नहीं था |
ऐसा ही जब मम्मी के घर से ये मुझे लेने आते तो मेरा मन बिल्क़ुल नहीं होता था |
ये बोलते कुछ नहीं थें | पर इनका गुस्से से भरा चेहरा मुझे दुखी कर देता |
में भी कुछ न बोलती और साथ चली जाती पर इनसे बिल्कुल बात न करती |
और इनका आँख बचाकर मुझें देखकर हसँना मुझे भी हँसा जाता |
मैं इनसे ज्यादा समय नाराज नहीं रह सकती थी |
- Categories:
- स्मृतियाँ