प्यार का बंधन, जन्म का बंधन
जन्म का बंधन छूटे ना |
तुम साथ रहो मेरा संबल बनो बस यही कामना हैं | हमने कभी साथ-साथ जीने मरने की कसमे खाई थी |
तुम उसे निभा नहीं पाये | मैं नहीं चाहते हुए भी जी रही हूँ | तुम्हारे अनमोल रत्नों को समेटे हुए |
सभी कुछ तो तुम्हारी कल्पना के अनुसार हो रहा हैं | तुम साथ होते तो बहुत अच्छे ढंग से Enjoy करते मैं अकेली क्या …..

बंगारू IIT (Banaras) BHU, और Dona Kota जा चुकी हैं पढ़ने के लिए | दोनों पढ़ने में बहुत ही होशियार और कुछ ज्यादा ही समझदार हैं | मोहनीश जब बनारस जाने लगा तो मैंने उससे कहाँ बेटा मैं तो बहुत अकेली हो जाऊँगी | तब जानते हो उसका जबाब क्या था |

कि हम तीनों ही अकेले हैं | आप तो नाना – नानी, मामा के साथ हो पर डोना व मैं तो अकेले ही हैं | लगा कि तुम बोल रहे हों खैर तुम हम सबके साथ हो आत्मिक रूप सें पर कृष्णा मेरे साथ हैं | जैसा उन्होंने असमंजस के क्षणों में अर्जुन को राह दिखाई थी मुझे भी हाथ पकड़कर चलायेंगे | यह मेरा अडिग विश्वास हैं |
इसके लिए में उस असीम शक्ति को धन्यवाद देती हूँ | और उससे बस यही प्रार्थना है कि:->>>
“तुम चाँदनी की तरह छिटक जाना
घने जंगलो में
रात में न भूँलू रास्ता
इन खड्डो, खाइयो और रवंदको में
फिसलने न पाएँ मेरे पाँव
मैं अँधेरे में चमकती
आदमखोर आँखो से डरती हूँ
डरती हूँ काले नाग के फन से
मैं जीने के जतन करती हूँ
मुझे मृत्यु – भय से बचाना
अँधेरे में आँख बन जाना
भूख में बन जाना ग्रास
दुख में जार -जार रोऊ अगर
तो बन जाना मेरा स्वपन
तुम मुझे याद आना
हर उस घड़ी में
जब खोने लगूँ कभी
अकेलेपन की सुरंग में “
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