गणेश चतुर्थी
सज चुका है है घर सभी का ,बड़ा है मन आज धरती का |
नए सपने अब पंख फैलाने वाले है ,की बप्पा आज आने वाले है ||
हँसी से सबकी फूल सी खिल गई ,खुशियों की है चाभी मिल गई |
हर बिघ्न घर छोड़के जाने वाले है ,की बप्पा आने वाले है ||
फिर अब घर में रौनक होगी ,रिश्तेदारों की दस्तक होगी |
फिर थाली से मोदक चोरी होने वाले है ,क्योकि बप्पा आने वाले है ||
अब पक्की होगी कच्ची डोरियाँ खुलेगी समृद्ध की तिजौरियां |
बोलो गणपति बप्पा मोरिया ||

आज भी हम सभी का फ़ास्ट है ! आज हमारे यहाँ साल में दो ही बार मोदक बनते है
एक तो आज और दूसरा अनंत चौदस के दिन तो आज हमने भगवन गणपति के लिए मोदक पंचामृत
और फल फूल आदि का भोग लगाया| बड़े बाजे – गाजे के साथ भगवान का पूजन किया !
यहाँ तो झांकी वगैरह नहीं लगती पर जब हम पढ़ते थे तब इंदौर ,धार ,रतलाम में तो जैसे

दस दिन बेहद चहल पहल हो जाती थी जगह -जगह झांकी लगती थी बहुत सुन्दर मूर्तियाँ
और सजावट देखते ही बनती थी| हर घर में गणेश मूर्ति स्थापित होती थी हर दिन सुबह
शाम गणेश वंदना ,भजन ,कथा आदि होती थी अनंत चौदहस के दिन मूर्तियों की झांकी
निकाली जाती थी दूसरे दिन सुबह तक निकलती रहती थी ! अतः अनंत चौदहस के दूसरे
दिन छुट्ठीहोती थी !

जब मेरे बच्चे छोटे थे तब घर पर गणेश स्थापना करते थे ।
बच्चे बड़े अच्छे से पूजा करते दमोह में क्वॉर्टर के पास बेला ताल था !
जहा सभी बच्चे एक साथ गणेश विसर्जन के लिए जाया करते थे !
जब मोहनीष 10th class में कोटा चला गया तभी से फिर घर में मूर्ति
नहीं लाये ।डोना भाई के बिना तो रख ही नहीं सकती थी !
पर इन दस दिनों में लड्डू, मोदक भगवान के भोग के लिए जरूर बनाती हूँ !
ये उसकी दया है ,उसका वरद हस्त सदैव हम पर है !
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