October 13, 2022

नवरात्रि के शुभ दिनों की शुरुआत

                सर्वमङ्गलमाङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके ।
                शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते ॥

गणेश चतुर्थी के बाद ऋषि पंचमी , संतान सप्तमी ,अनंत चौदस के दिन गणपति गजानन को विदा किया। अपने पूजनीय पितरो का स्वागत बड़े बिधि बिधान से सम्पन किया। उनका भी आशीर्वाद प्राप्त कर विदा किया। अब आज से देवी साधना का पावन पर्व शुरू हो रहा है उस जगत जननी से ही प्रार्थना है की हम सबको अपनी दया करुणा में रखना।


“माँ दुर्गा का सिर पर हाथ हो,
पुरे परिवार में खुशिया का बास हो,
घर में सुख शांति का निवास हो,
सबके जीवन में प्रकाश ही प्रकाश हो”,

माँ की करुणा और प्यार को मैने अपने जीवन में महसूस ही नहीं साक्षात अनुभव भी किया है। 2002 तक नवदुर्गा पर बड़े भक्ति भाव से पूजा पाठ हवन आदि किया करते थे| बड़े प्यार से कन्याओ का पूजन भोजन किया करते थे। Ram की Posting सतना ( मैहर) में थीं। शारदीय नवरात्र के पहले मैहर वाली शारदा माँ के मंदिर में पहाड़ पर पानी की पाइप लाइन डलवाई जो 25 years से नहीं थीं ।भंडारा करवाया नवरत्रि में ।मंदिर के गर्भ गृह में पंडित जी ने पूजा कराई राम को चुनरी तथा प्रसाद दिया और कहा जब मैडम आएगी तब आप को साथ पूजा कराएँगे। राम जब दमोह घर आये तो। तो बताया चंद्रा मंदिर में कुछ तो है ! अदभुत अनुभूति हुई और माँ में कुछ तो आकर्षण है| आप महसूस कर सकते हो की कोई तो पॉवर है।


तब मंदिर जाने की उत्कंठा और भर गई। पर वो दिन आ नहीं पाया चैत की नवरात्री आने तक और हमारे जाने से पहले ही राम हमसे दूर देवी माँ की गोद में सोने चले गये। राम का Accident मैहर में ही हुआ था ‘ बस मैंने माँ को डाँटना शुरू कर दिया की तुम्हारे रहते हुए ये सब हुआ तुम देखती रही। तुम्हारी इतनी भी शक्ति नहीं थी की मेरे राम को बचा लेती। और मैंने कसम खाई अब मै आपकी कभी पूजा नहीं करूंगी|आपके लिए कभी नहीं कभी भी नहीं अपना सर झुकाऊँगी। अब तुमने बिगाड़ा है ‘ तो आपको ही देखना पड़ेगा मै कुछ नहीं जानती। मेरे सामने बस अंधकार ही अंधकार था। उस समय मेरे दोनों बच्चे छोटे थे |

मोहनीश 12th में और डोना 9th Standard में पढ़ रहे थे। मै समझ नहीं पा रही थी की बच्चे कैसे बड़े होंगे ‘क्या पढ़कर करेंगे सब कुछ शून्य में था। इसलिए मै सबसे ज्यादा नाराज माँ से थी मेरा यही कहना था कि जब तक मेरे बच्चे पढ़कर Job में नहीं आ जाते तब तक मै आपकी सूरत भी नहीं देखूंगी। सागर में हमारे घर के पास एक बहुत बड़ा देवी मंदिर है ‘ 20 feet बीजासेन माँ की मूर्ति है। मै रोज सुबह निकलती योगा class जाने के लिए ‘ रास्ते में ही दिखती है मूर्ति ‘ पर मै उधर कभी भी नहीं देखती थी ‘ नाराज जो थी। उसके बाद मै कई बार office के काम से मैहर गई पर दर्शन करने नहीं गई। दूर से पहाड़ को देखा करती और माँ से कहती जब मेरे बच्चे पढ़ लिखकर कुछ बन जायेंगे तभी दोनों बच्चो के साथ आपके दरबार में माथा टेकने आउंगी ‘ मेरी इस धमकी में बेहद दर्द भरा था।|


और मै उसका हाथ मै अपने सिर पर महसूस करने लगी मुछे हमेशा सपने में माँ दुर्गा का भब्य रूप दिखलाई पड़ता। और बड़ी करुणा से भरी मुछे कहती की तुम चिंता क्यों करती हो| मै हूँ ना ,सब देखना कितना अच्छा होगा ।और मै रोमांच से भर जाती थीं| और आँख खुलने पर मेरे आँसू गिरने लगते| और धीरे – धीरे समय गुजरता गया ।मोहनीश का 2002 में ही IIT BHU में selection हो गया था| और 2006 में पढ़ कर banglore infosis में job में आ गया job लगने के बाद मैने मंदिर जाना शुरू किया| फिर एक बार माँ के चरणों में प्रणाम करने पहुंची| मंदिर में उनका चेहरा ढबढबाई आँखों से बड़े गौर से देखा करती इन सबके लिए उन्हे धन्यबाद देती। Dona भी B.tech करके IIT khargpur में M.B.A करने चली गई और 2012 में पढ़ कर job में आ गई 10 years बाद माँ ने मेरी दोनों अभिलाषाऐं पूरी कर दी थी| जो मैंने कभी सोचा भी नहीं था| की मेरे दोनों बच्चे इतने अच्छे बनेंगे| हर क्षेत्र में बेहतरीन थे ।

ये उसकी दया थी हम पर की एक बार फिर सम्हल कर खड़े हो पाये ।उसके बाद हम सभी मैहर मंदिर पहुंचे शारदा माँ के चरणों में ,मै अपने आप को सम्हाल नहीं पा रही थी| और लगतार रोये जा रही थी मै अपलक उसे निहार रही थी मेरी पूरा शरीर उसके करुणा से काँप रहा था| मै कैसे उन्हें धन्यबाद दूँ। फिर उसकी हम पर ऐसी कृपा बरसी की सब काम होते चले गये| मै हर काम उनसे ही कहती और वे बड़े अच्छे ढंग से करती जाती ।अजीब रिश्ता बन गया था माँ बेटी का। फिर मोहनीश की 2020 में शादी हुई प्यारी सी बहु आ गई थी ।मैने मन में सोच रखा था| की सबसे पहले दोनों को दर्शन कराने जरूर ले जाउंगी पर उसके बाद covid की वजह से सब बंद था|


पर 1 years के बाद ये कामना भी जल्दी ही पूरी हो गई अचानक ही हम मैहर पहुंचे गये। वहा भी ऐसी कृपा बरसी की क्या कहने बहुत भीड़ होने के बावजूद भी अच्छे से दर्शन हुए दोनों को दर्शन कराते वक्त भी मै बहुत रोई मेरी सिसकिया रुक नहीं रही थी| पंडित जी ने दोनों को साथ पूजा कराई ।टीका,चुन्नी ,प्रसाद देकर सिंगार के सामान से बहु की गोद भरी। मेरे हाथ उसको धन्यबाद देने के लिए फैले थे| और बाहर आने के बाद मै बुरी तरह से रोने लगी थी। बच्चो ने और मेरे भाई लिटिल जिसने बहुत अच्छे से दर्शन करवाये थे| मुछे समझाने लगे की अब तो माँ ने सब ठीक कर दिया है। अब आप को चिंन्ता करने की जरुरत नहीं है|

लिटिल ने गले लगाकर कहा की दीदी अब सब ठीक है अब आप माँ से एक चीज और मांग ले की जल्दी ही आपको दामाद मिल जाये।और आप फिर से आप मैया के दर्शन करने आये| तब मैने कहा की नहीं मुझे नहीं मांगना है उसे पता है की मुझे क्या चाहिए है| और जब इतना नहीं समझ पाई तो माँ कैसी। और 2022 में Dona को एक बहुत ही अच्छा लड़का मिल गया| और बहुत ही अच्छे तरह से शादी हो गई ।और अभी वो Ireland चली गई। मैने माँ को कहा था| की लड़की दामाद को आप के पास लाऊंगी पर देखो वो कब बुलाती है| ऐसी कृपा हुई उस जगत जननी माँ की मेरे परिवार पर उसका जितना बखान करूँ कम है। ये मेरे जीवन में उसकी बड़ी कृपा की घटना भी है और सदा -सदा रहेंगी भी ।

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