February 3, 2024

तुम पिलाओ और मै न पीऊं ?

तुम पिलाओ और मै न पीऊं ?
रुपसी ! जीवन के मादक क्षणों की खुमारी तो आज भी शेष है | तुम्हारे मुस्कुरातें अधरों का एक चुम्बन तृप्ति की आँस बन गया , किन्तु दूसरे ही क्षण अनादि अतृप्ति को इसने जन्म भी तो दे दिया | तुम्हारे रुप की अनंत गहराई में डूबने के बाद किनारा कैसा ? रुप सुधा पीता गया और इतना पी गया की वह गरल बन गई | रोम -रोम में पीड़ा , कसक और व्यथा बन कर छा गई । और निर्मम तुम सामने खड़ी मुस्कराती, इठलाती रहीं | युग -युग के बाद , खुमारी तो शेष है | बस यही एक ऐसी उम्मीद है जो मुझे अनंत जन्मो तक तुम्हारी प्रतीक्षा करवाती रहेगी |

परशुराम

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *