Jeevan yatra
उसके बाद Dona IIT Kharagpur चली गई । मैं 2007 में Mohanish के साथ delhi आ गई। यहाँ हम kalka ji में थे । यहा भी में शाम को घूमने जाती सुबह yoga करती और हाँ यहाँ में दिनभर video game खेला करती।कब शाम हो जाती पता ही नहीं चलता,बहुत व्यस्त हो गयी थी ।मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि मैं कभी Games भी खेलूँगी ये सभी क्रम चालू थे| 2 साल बाद mohanish USA चला गया में वापिस sagar आ गई बीच -बीच में बेटा दिल्ली आता तो में भी delhi आ जाती |


इसी प्रकार 5-6 year निकल गए समय बीत रहा था| 2012 में हम delhi से Noida आ गए थे| Noida सुंदर था यहा घूमने का अलग ही मजा था। अब फिर से मैं दोनों बच्चों के साथ धीरे-धीरे गृहस्थी चालू कर रही थी , जिंदगी के नये -नये रूप देख रही थी अगला पल कैसे बदलेगा किसी को पता नहीं ।याद आती है तो मुश्किल से भूल पाती हूँ | जीवन के रंगीन ख्यालों में भटक जाती हूँ देखती हूँ तुझे कई बार मैं पलभर मैं बड़ी मुश्किल से हकीकत में लौट पाती हूँ|


Mohnish का office यहा शिफ्ट हो गया इसी साल dona भी अपनी पढाई करके job में आ गई थी एक साल बाद mohanish फिर USA चला गया अब dona मेरे साथ थी अतः मेरा sagar जाना बंद हो गया ।उस समय हमने एक driver रखा था | हम सुबह dona को office छोड़ने जाते और शाम को लेने जाते |



Driver हमे छुट्टी के दिन नई -नई जगह घूमाने ले जाता । हम बड़े मजे से रह रहे थे। mohanish USA में था ।Morning में हम दूर तक घूमने जाते ,रात को भी घूमा करते ।हम पार्श्वनाथ सोसाइटी sec 93 में थे बहुत सुंदर sec था दूर -दूर तक खुला चारों तरफ हरियाली ही हरियाली मुझे हमेशा से ही ऐसी जगह पसंद थी इसीलिए में यहा बहुत खुश थी ।


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